Tuesday, 4 October 2011

safar mein.... aanaa aur jaanaa...



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zindagi  ke safar mein....


२००८ की जुलाई   दिल्ली से जयपुर का रास्ता


31-07-2008 15:22:00






ताज्जुब   की  बात  है  की  अभी -अभी  तो   ताज़ी   खिलखिलाती   हुई   धूप
खिली  हुई  थी
 
और  जब  मै  महज़   10  km   ही  आगे  बढ़ता  हूँ  तो  यंहा
पर  बदली  छाई  हुई  है . बारिश  अभी -अभी  थमी  है
शायद , बूंदा -बंदी  के  आसार  हैं .मै अपने  चारों  और  हरियाली  देखता
हूँ . खेतों  की  तरफ  दूर  नज़र  दौडाता  हूँ  तो  एक  मोर  को  अपने  में  मगन  पंख
फैलाए  नाचते  हुए  देखता  हूँ
.दूर  क्षितिज   पर  इन्द्रधनुष  मुझे
बुला  रहा  है .यकीन  नहीं  होता  की  अभी  इसी  सफ़र
में  कुछ  देर  पहले  मै  एक  सहरा  से  गुज़र  रहा  था .सफ़र  की  पेचीदगियां
और  रोमांच  मेरी  समझ  के  बाहर  की  बात  हैं .
 और  यह  समझने  के  लिए
मै  रुकना  भी  नहीं  चाहता -वक़्त  का   कुछ  ऐसा  ही  तकाजा
है . तेज़ चलती गाड़ियां और धीरे धीरे सरकते ट्रक सब चल ही तो रहे हैं,,  हम सब अपने अपने डब्बों में बंद.


 


मै   आगे  बढ़ता  जाता  हूँ .   अच्छी
तरह  जानता  हूँ  की  आगे  मौसम  का  कोई  और  मिज़ाज  देखने  को
मिलेगा .
कुछ  ही  दूर  चलने  पर  मुझे  सर्दी  का  एहसास
होता  है .घना  कोहरा  छाया  है -2 मीटर  सामने  भी  कुछ  दिखाई  नहीं  दे
रहा  है .सड़क  के  आस -पास  की  टिमटिमाहट  से  लगता  है  की  ये  आबादी  वाला
इलाका  है .
पर  कोई  घर  से  नहीं  निकला  है . घंटियों की आवाज़ आती है, नहीं ,,,मंदिर की नहीं हैं ये,  किसी जानवर   ...  किसी ऊँठ   के गले में बंधी  घंटी की आवाज़ होगी.
शाम को ही अँधेरा सा ...  मै गाडी की हेड लाईट जला देता हूँ. तेज़ बारिश पढने लगी है. मै apna  सफ़र जारी   रखता  हूँ,  आज देर लग रही है.

मुस्कुराता हूँ, जयपुर राजस्थान  की राजधानी है और लोग सोचते हैं की गर्मी बहुत होगी,  है भी... पर आज के दिन, मौसम इतना सुहाना  और मै  इतना अकेला ?

 

 

 

यही  ज़िन्दगी
है  की  आप  अपनी  राह  पर  चलते  जाते  हैं ,


आप  लोगों  के
बीच  में  तो  होते  हैं ,


फिर  भी  होते
हैं  तनहा .


 


Welcome to my
space....    






- 01-09-2008 10:09:58

1 comment:

  1. zindagi ka safar hai kaisa ye safar , koi samjha nahi koi jana nahi........iske ek palde mai dukh aur doosrey mai sukha hai aur na jane kab kon se palde ke safar par hon ........ sab kuch agyaat anbhigya......... bahut khoob rekhachitra ke madhyam se jeevan ka sateek chitran ...bahut khoob

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