mai shabd sur tum
अपहरण
दोस्तों के
कहने पर मैंने "हाँ " तो कर दी थी
और तुम मुझपर कितना
नाराज़ हुई थी ..
कि 'क्या ज़रूरत थी मुझे
कालेज की वाद -विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने की ?'
तुमने
कहा ,"भाषण -वाषण नेताओं के
काम
एक कवि को जो बिलकुल नहीं
सुहाता "
और पूछा था मुझसे 'कि
जीतकर
किसे
था मै खुश करना चाहता '
फिर तुम रूठकर अपनी 'दो ' बजे
की बस से घर चली गयी थी ...
महसूस हुआ था मुझे कि कालेज में
मिलने
का वक़्त होता ही था कितना कम ,
फिर उसपर
मेरे 'दोस्त छिछोरे '
राजनितिक
चर्चे ,खेल -कूद और ड्रामेबाजी ;
झुंझला
जाती थी तुम ,रहती थी मुझसे खफा
'कमबख्त कम वक़्त को कर देता था मै और कम '...
( काल्पनिक )
मै शब्द सुर तुम
अपहरण
दोस्तों के
कहने पर मैंने "हाँ " तो कर दी थी
और तुम मुझपर कितना
नाराज़ हुई थी ..
कि 'क्या ज़रूरत थी मुझे
कालेज की वाद -विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने की ?'
तुमने
कहा ,"भाषण -वाषण नेताओं के
काम
एक कवि को जो बिलकुल नहीं
सुहाता "
और पूछा था मुझसे 'कि
जीतकर
किसे
था मै खुश करना चाहता '
फिर तुम रूठकर अपनी 'दो ' बजे
की बस से घर चली गयी थी ...
महसूस हुआ था मुझे कि कालेज में
मिलने
का वक़्त होता ही था कितना कम ,
फिर उसपर
मेरे 'दोस्त छिछोरे '
राजनितिक
चर्चे ,खेल -कूद और ड्रामेबाजी ;
झुंझला
जाती थी तुम ,रहती थी मुझसे खफा
'कमबख्त कम वक़्त को कर देता था मै और कम '...
मै अगले दिन ग्यारह
बजे ,प्रतियोगिता के लिए
अन्य प्रतियोगियों के साथ
'हॉल ' में था
ये वाद -विवाद प्रतियोगिता युनिवेर्सिटी में
बहुत मानी जाती थी
प्रथम पुरस्कार में पांच हज़ार कि
राशि दी जाती थी ;
खचाखच भरे 'हॉल '
में
मै प्रतीक्षा कर रहा था अपनी बारी
कि
.................और
तुम्हारी ...
बजे ,प्रतियोगिता के लिए
अन्य प्रतियोगियों के साथ
'हॉल ' में था
ये वाद -विवाद प्रतियोगिता युनिवेर्सिटी में
बहुत मानी जाती थी
प्रथम पुरस्कार में पांच हज़ार कि
राशि दी जाती थी ;
खचाखच भरे 'हॉल '
में
मै प्रतीक्षा कर रहा था अपनी बारी
कि
.................और
तुम्हारी ...
मैंने बोलना किया ही
था शुरू
कि मुझे तुम दाखिल होकर बैठती
दिखी
और अब मुझे अपनी जीत
बिलकुल
निश्चित लगी
तुम मुझे 'दो ' उँगलियों से कुछ समझा रही
थी ,
सब समझे तुम मेरी जीत के लिए
विजय चिन्ह "V" बना रही थी ;
था शुरू
कि मुझे तुम दाखिल होकर बैठती
दिखी
और अब मुझे अपनी जीत
बिलकुल
निश्चित लगी
तुम मुझे 'दो ' उँगलियों से कुछ समझा रही
थी ,
सब समझे तुम मेरी जीत के लिए
विजय चिन्ह "V" बना रही थी ;
मै समझ गया
था
वो था 'दो '
यानी दो बजे तुम्हारी बस
जाने वाली थी
इशारे से बार बार तुम मुझे समझा रही
थी
प्रतियोगिता में मेरी जीत हार से तुम्हे कोई सरोकार न
था
तुम्हे तो बस मासूम से एक कवि से प्यार
था ;
था
वो था 'दो '
यानी दो बजे तुम्हारी बस
जाने वाली थी
इशारे से बार बार तुम मुझे समझा रही
थी
प्रतियोगिता में मेरी जीत हार से तुम्हे कोई सरोकार न
था
तुम्हे तो बस मासूम से एक कवि से प्यार
था ;
मेरे अन्दर के कवि ने
मेरे बाहर के नेता को धक्का दिया
और
मै अपना व्याख्यान पूरा किये बगैर
मंच से उतर
गया ...
मेरे बाहर के नेता को धक्का दिया
और
मै अपना व्याख्यान पूरा किये बगैर
मंच से उतर
गया ...
सब रह गए थे
स्तब्ध
चारों तरफ फैल गया था
और तुम मुझे लेकर
'हॉल ' से
बाहर निकल गयी थी ;
यूं
दिन -दहाड़े ,खुल्लम -खुल्ला ,
सबके सामने तुमने कर लिया
था
मेरा अपहरण .
स्तब्ध
चारों तरफ फैल गया था
सन्नाटा
और तुम मुझे लेकर
'हॉल ' से
बाहर निकल गयी थी ;
यूं
दिन -दहाड़े ,खुल्लम -खुल्ला ,
सबके सामने तुमने कर लिया
था
मेरा अपहरण .
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