पुनर्जन्म .. २६ अक्तूबर ,अलसाई दोपहर
मैं एक कवि हूँ
लिख देता हूँ ..
झूठे सच्चे सब गीत /
किसी लकीर पर
कभी चलता नहीं ..
मेरी अपनी इक रीत /
इस युग की मजबूरियाँ
बदलती जैसे ऋतुएँ ..
गर्मी वर्षा या शीत /
कितनी मनभावन
पर कितनी विवश ..
तेरी मेरी प्रीत /
इस जन्म में शायद
क्यूँ लगता है ..
बन न पाएं हम मीत /
सो लिख डाली मैंने
अगले जन्म की खातिर ..
हम दोनों की जीत .
..सो लिख डाली मैंने /अगले जन्म की खातिर / हम दोनों की जीत ..
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