एकाकी (LONELINESS)
05-08-2008 15:52:07
ekaakee
आओ मेरी एकाकी को दूर कर दो ...
तुम हो भी तो कितने सारे
क्या तुम में से कोई नहीं कर सकता ऐसा ?
सितारों
देखो न मै कितना तनहा हूँ ..
बोलो न उषा की पहली किरण
तुम ही बोलो
तुम्ही तो सबसे पहले
मेरी खिड़की से झाँक कर
मुझे हौले से जगाती हो ,
तुम रहो ना साथ मेरे ;
सवेरे के साथ चहचहाते पंछी
तुम तो कुछ बोलो ना
तुम मेरी
चाय की प्याली के साथ
रोज़ गुनगुनाते हो
तुम रहो ना साथ मेरे ;
तुम तो कुछ कह दो ना चन्दा
तुम्हारे साथ तो मैं
रात रात भर
जागा रहता हूँ
तुम क्यूँ ना रह जाओ मेरे साथ सदा
बोलो ना चन्दा ;
परन्तु तुम सब मौन हो
और
ये ठीक ही तो है
मैं
जानता हूँ
उषा की पहली
किरण को
झुलसते सूरज ने
निगल जाना है ,
और तुम्हे ओ
पक्षी
सांझ को अपने घोंसले की
और उड़ जाना है ,
चन्दा को
चले जाना है
दूर आकाश
के दूसरे छोर
किसी दूसरे
कवि की एकाकी दूर करने ;
मैं ठीक से जीने लगता हूँ
और फिर होता नहीं हूँ उदास
मुझे समझ आने लगा है
क्षण भर की प्रस्सनाता का
सार
और मनुष्य की नियति
सिर्फ
एकाकीपन का साथ
सिर्फ एकाकीपन का साथ .
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