गीत ..
कहने की हैं जो कुछ बातें, सोचता हूँ तुमसे कह दूँ
दिल में लिए यूँ ही तडपूंगा तो मैं जी न पाउँगा ,
मालूम नहीं कि सामने तेरे मुझपर क्या बीतेगी
कांपेगी आवाज़ मेरी या ठीक से सब कह जाऊंगा ..
कहने की हैं जो कुछ बातें ,सोचता हूँ तुमसे कह दूँ ..जीवन की डगर पे तनहा चलना
बिलकुल न सह पाउँगा ,
डर के सहम के यूँ ही चलके
भीड़ में ग़ुम हो जाऊंगा,
एक कदम भी मेरा चलना
अब है एक सज़ा जैसा,
तुम जो रहोगी साथ तभी मैं
अपने सफ़र पे जाऊंगा ..
कहने की हैं जो कुछ बातें ,सोचता हूँ तुमसे कह दूँ ..
तुमसे जो मैं मिल पाया भी तो
क्या मैं कुछ कह पाउंगा,
बात समझ लेना तुम दिल की
जो मैं चुप रह जाऊंगा ,
नज़रों से अपनी सब पढ़ लेना
सुन लेना सब ख़ामोशी ,
फिर मैं पकड़कर हाथ तुम्हारा
प्रेम नगर ले जाऊंगा ..
कहने की हैं जो कुछ बातें, सोचता हूँ तुमसे कह दूँ
दिल में लिए यूँ ही तडपूंगा तो मैं जी न पाउँगा ,
मालूम नहीं कि सामने तेरे मुझपर क्या बीतेगी
कांपेगी आवाज़ मेरी या ठीक से सब कह जाऊंगा ..
कहने की हैं जो कुछ बातें, सोचता हूँ तुमसे कह दूँ ..
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