A New Ghazal.... ( 2009 में नयी थी ...अब कुछ पुरानी सी .. )
10-07-2009 10:40:10
शायद तुम अब न आ सको
बरसती रात का आलम है , तन्हाई है
तुम चले आओ तुम्हारी याद आयी है
तुम्हारे आने की चाहत में खैरमकदम को
फिजा में फैली है खुशबू ,ठंडी पुरवाई है
बारिश न थमे और कंही आ न सको तुम
यही सोचकर मेरी आँखें ये भर आई हैं
गरज रहे हैं अब तो और भी ज़ोर से ये बादल
आज है इम्तिहान ,आज मोहब्बत की आज़माईश है
तनहा शायर से मुलाकात पे डरना कैसा
समझा दो मुझे इसमें कैसी रुसवाई है
तुम चले आओ तुम्हारी याद आयी है ..
Tanha Ajmeri
बहुत सुन्दर गज़ल
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