सोचता हूँ कि तुम्हारी तालीम क्यूँ ज़ाया हो /
तुमको भी हासिल हो वो जो सबने पाया हो ..
किसी को भी,
हाँ - किसी को भी
हक़ नहीं है -
तुम्हारे जीवन में ज़हर घोलने का
तुमसे ऊंची आवाज़ में बोलने का
तुम्हारे जज़्बात को तोलने का
तुम्हारी राह का रुख मोड़ने का ..
तुम्हारे लहू का हर क़तरा बस तुम्हारा है
तुम्हारी हर सांस पर बस हक़ तुम्हारा है
तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ तुम्हे पकड़ा नहीं जा सकता
गुलामी कि जंजीरों में तुम्हें जकड़ा नहीं जा सकता ..
तुम्हें डरने कि कोई ज़रूरत नहीं है
लाचारी कि तुम्हारी कोई सूरत नहीं है ..
तुम न भूलना ये कभी भी
कि तुम कोई क़ैदी नहीं हो ..
तुमको हर हाल में
याद रखना ही होगा -
कि तुम आज़ाद हो
तुम आज़ाद हो ..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..... आज़ादी सबका हक है
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