जो न आँखों से कहा गया
और न लफ़्ज़ों से हुआ बयाँ
होता है दीवानों के बीच जो
तेरे मेरे दरमियाँ हुआ ..
जो न आँखों से कहा गया
ख़ामोशी वो सब कह गयी
जो लफ्ज़ कभी न कह सके
सैलाबे जज़्बात यूँ उमड़ा
न तुमसे रहा गया
और न हमसे रहा गया ..
जो न आँखों से कहा गया
तेज़ इस वक़्त को हम रोक न पाए
कुछ यूँ हालात हुए हम सोच न पाए
बाहों में भर लो , कंही जाने न दो
ना तुमसे कहा गया
और ना हमसे कहा गया ..
जो न आँखों से कहा गया
और न लफ़्ज़ों से हुआ बयाँ
होता है दीवानों के बीच जो
तेरे मेरे दरमियाँ हुआ ..
लाजवाब !!!
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