Thursday, 3 November 2011

GHAZAL

GHAZAL

by Tanha Ajmeri on Tuesday, January 4, 2011 at 8:54am
 
सो रखे हैं  सब लोग  अभी  मेरे शहर के  ,

सो रखे हैं  सब लोग  अभी  मेरे शहर के  ,  
माहौल-ए-फुगाँ   होगा जंवा  थोडा ठहर के /

उन सफीनों को   ज़रा भी   खबर न हुई   ,
जिनके लिए  लड़ता रहा  कोई लहर से /

 भागता जा रहा है डरा सा ये मुसाफिर क्यूँ   ,
  कोई तो बचा ले इसे ज़माने के कहर से /

 दिल से न बन सका कोई यंहा मेहमान किसीका   , 
  पीता रहा हर शख्स यंहा प्याले ज़हर के / 

कब ख़त्म होगा तमाशा घुटन औ जलन का   ,
पूछे तो सही जाके कोई हाकिमे शहर से /

 सो रखे हैं  सब लोग  अभी  मेरे शहर के,
    माहौल-ए-फुगाँ   होगा जंवा  थोडा ठहर के... 

माहौल-ए-फुगाँ / फगां = atmosphere of distress and lamentation (here also..hustle bustle of life)
सफीना= boat     
  हाकिमे शहर = ruler of the city

No comments:

Post a Comment