Sunday, 6 November 2011

भटका भटका ही रहा फिर भी .....


भटका  भटका  ही  रहा  फिर  भी .....

by Tanha Ajmeri on Saturday, December 12, 2009 at 9:१४अम
बेख़ौफ़  होकर  निकल  तो  आया  दूर  सफ़र  में 
डर  सा   फिर   कैसा   इस  अनजान  शहर  में 


कश्ती  में  दम ,नाखुदा  के  इरादे  बुलंद 
आज  इरादा  है  लड़ने  का  भंवर  से 


कंही  साथ  ही  न  चला  जाऊं  खिंच  के  कभी 
एक  अजीब  सी  कशिश  है  समंदर  की  लहर  में 


उनकी  तरफ  से  अब  कोई  पैग़ाम  नहीं  आता 
जा  चुके  हैं  दूर  जो  अपने  वतन  से 


तनहा  पर  कीजिये  कुछ  ज़ुल्म  और  नए 
अब  वो  मज़ा  कंहा  रहा  पुराने  सितम  में 


बेख़ौफ़  होकर  निकल  तो  आया  दूर  सफ़र  में 
डर  सा  फिर  कैसा  इस  अनजान  शहर  में 

TANHA AJMERI



BHATKAA BHATKAA HI RAHAA PHIR BHI.....

by Tanha Ajmeri on Saturday, December 12, 2009 at 9:14am
Bekhauf hokar nikal to aayaa duur safar mein
Darr sa phir kaisaa is anjaan shehar mein


Kashti mein dum,naakhudaa ke iraade buland
Aaj iraadaa hai ladne ka bhanwar se


Kanhi saath hi na chalaa jaaun khinch ke kabhi
Ek ajeeb si kashish hai samandar ki lehar mein


Unki taraf se ab koi paigham nahi aataa
Ja chuke hain duur jo apne watan se


TANHA par keejiye kuchh zulm aur naye
Ab wo mazaa kanha raha purane sitam mein


Bekhuf hokar nikal to aayaa duur safar mein
Darr sa phir kaisaa is anjaan shehar mein

TANHA AJMERI

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