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Wednesday, 18 September 2019

Ek Taazaa Ghazal aapki nazr.... एक ताज़ा-तरीन ग़ज़ल

                                                                    ग़ज़ल  


जिसको ये दिल दिया उसने ही क्या किया            देकर ज़ख्म वो मुझे छोड़कर चल दिया 
Jisko ye Dil diya,usne ye kya kiya
Dekar zakhm wo mujhe chhorhkar chal diya

चाही थीं खुशबुएँ मैंने तो फिज़ाओं में 
धुआँ सा हवा में वो घोलकर चल दिया 
Chahi thi Maine to khisbuein fizaoN meiN
DhuaN sa hawa meiN wo gholkar chal diya

जा मिला बेवफा अब किसी ग़ैर से 
नाता वो प्यार का तोड़कर चल दिया 
Ja mila bewafa ab kisi gair se
Nata wo pyar ka todkar chal diya

खाईं थीं कसमें जो हर मुलाक़ात में 
उन सबका वो गला घोंटकर चल दिया 
KhaeeiN thi kasmein jo har mulaqat mein
Un sabka wo gala ghoNtkar chal diya

रुख़सत के वक़्त भी आँख उसकी न नम हुई 
   मुस्कुराके अलविदा बोलकर चल दिया         
Rukhsat ke waqt bhi aankh uski na num hui    
  Muskura kar Alvida bolkar chal diya
     जिसको ये दिल दिया उसने ही क्या किया 
     देकर ज़ख्म वो मुझे छोड़कर चल दिया 

  Jisko ye Dil diya,usne ye kya kiya
Dekar zakhm wo mujhe chhorhkar chal diya
                 TANHA AJMERI

Saturday, 2 February 2019

I don't do anything..

वो दिखाते हैं जिधर
 हम उधर देख रहे हैं ,
सबसे होकर बेखबर 
हम उधर देख रहे हैं  / 
मेरे तो सारे नज़ारें हैं 
उनके  ही दम से ,
जाए जहाँ उनकी नज़र
 हम उधर देख रहे हैं 

Friday, 16 December 2011

qaatil ki nigaah .. subhanallah !!

बरसों  बेरुखी  के  बाद  वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली




वो खुद मोहब्बत है प्यार की मिसाल है फिर भी
कहते हैं लोग कि     उन्होंने ही मेरी जान ली




वो अब नादाँ कंहा रहे समझते हैं अच्छा बुरा
एक छोड़कर  उन्होंने मेरी  बातें सारी मान लीं 






मेरे किसी गुमनाम ख़त का न मिला मुझको जवाब
जानता हूँ मैं कि उन्होंने लिखावट मेरी पहचान ली






( बरसों  बेरुखी  के  बाद  वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली  )