Tuesday 20 December 2011

शाम से हसीं आप हैं ..



आपके साथ ने,    आपकी बात ने ख़ास बनाया/
यूँ तो शामें    रोज़ आती हैं    और चली जाती हैं /
पता चला मुझे जो साथ चला आपके  मैं दो कदम/
कैसे रक्स करती है हवा , फिज़ा कैसे गुनगुनाती है .
( रक्स = dance / नृत्य )

Friday 16 December 2011

qaatil ki nigaah .. subhanallah !!

बरसों  बेरुखी  के  बाद  वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली




वो खुद मोहब्बत है प्यार की मिसाल है फिर भी
कहते हैं लोग कि     उन्होंने ही मेरी जान ली




वो अब नादाँ कंहा रहे समझते हैं अच्छा बुरा
एक छोड़कर  उन्होंने मेरी  बातें सारी मान लीं 






मेरे किसी गुमनाम ख़त का न मिला मुझको जवाब
जानता हूँ मैं कि उन्होंने लिखावट मेरी पहचान ली






( बरसों  बेरुखी  के  बाद  वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली  )

Tuesday 13 December 2011

मैं चलूँ बिन बैसाखी ..

tanha's space:Write What Your Heart Tells You To...

Who Doesn't Need INSPIRATION??

Oh yes, all of us need fuel to run.This life can be very harsh as all of us have felt some time or the other. But we were not born to simply while away our time on this planet. We have imagination that can fire us up to always strive for the better.My first message to you in this regard is- don't be overwhelmed by laziness.And when you are chasing your dreams remember not to go after worthless pursuits. Tell yourself that you will make each moment count.There will be obstacles on the way, there will be challenges but never lose heart. All of us make mistakes but how many of us learn from them. Learn from your mistakes.I want to quote the great Michael Jordan here. He said,'' I can accept failure.Everyone fails at something.But I can't accept not trying.''
 

 
खुद ही चल पड़े हैं जानिबे मंजिल अब
हमको नए सहारों की तलाश नहीं है

किसी की याद से कर लेते हैं हर ज़र्रा रोशन
अब अंधेरों में चरागों की तलाश नहीं है

निगाहें मिलकर खिला लेते हैं फूल मन में
हरगिज़ अब बहारों की तलाश नहीं है

क्या देखें उनके शहर से चले जाने के बाद
हमको अब नज़ारों की तलाश नहीं है

"तनहा" की किताब का कुछ तो हुआ असर
उनको अब तरानों की तलाश नहीं है

(खुद ही चल पड़े हैं जानिबे मंजिल अब
हमको नए सहारों की तलाश नहीं है)

Saturday 10 December 2011

TIME IS P R E C I O U S ..




अपने हालात  बदलने  का 
ग़र तुझमें हौसला है
तो उठ , अभी उठ
देर न कर
वक़्त कम है ..


तेरी ज़िन्दगी को न कर दें
हालात ये बेकाबू
खुदको काबू में कर
ए दोस्त
वक़्त कम है ..

फैला सके तो फैला दे
तू प्यार हर तरफ
किसी से नफरत न कर
जान ले
वक़्त कम है ..

आते थे मिलने मुझसे
हर शाम वो शौक़ से
आते ही कहते 
"जाना है जल्दी
वक़्त कम है " ..

कोई आया साथ न
जब मिन्नतों के बाद भी
"तनहा" ही चल पड़ा हूँ
सफ़र में
वक़्त कम है ..     

Tuesday 6 December 2011

khamosh rahun to behtar hai ..

चाहा कब न था कुछ करना
पर ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते
लरज़ गयी है धड़कन धड़कन
बिख गया है लहू लहू ..


तन्हाई में रोना बेहतर है
उकता गया हूँ हुजूम में
किससे क्या क्या सुनूं सुनूं
किससे क्या क्या कंहू कंहू ..


इस दौडती भागती दुनिया में
मुझ जैसों का ठिकाना क्या
मैं नादाँ निपट आवारा
मौजे जज़्बात में बहूँ बहूँ ..

रिश्ते तुम्हारे होंगे हज़ार
मेरा दुनिया से बस रिश्ता एक
दुनिया करे है ज़ुल्म बराबर
और मैं चुपचाप सहूँ सहूँ ..

 
चाहा कब न था कुछ करना
पर ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते
लरज़ गयी है धड़कन धड़कन
बिख गया है लहू लहू ..
 

Monday 5 December 2011

Be Happiness Personified !


दिल  तुम्हारा  जो  कह  रहा  है  उसकी  सुनो
इर्द -गिर्द  अपने  एक  खुशगवार  मंज़र  बुनो
कहो  अलविदा  तल्खी  और  खलिश  को
कुछ  ख्वाब  मुलायम  से  बारीक  से  चुनो  


dil tumhar jo keh raha hai uski suno
ird-gird apne ek khushgawar manzar buno
kaho alvida talkhi aur khalish ko
kuchh khwab mulayam se bareek se chuno 

Friday 2 December 2011

ज़िन्दगी के बाज़ार में ..


जिस बाज़ार में देखो सबको कुछ न कुछ मिला 
दिल के आराम का मुझको   सामान न मिला      


 आखरी सांस तक वो बस लड़ता ही रहा  
उसे ज़िन्दगी का कोई सफ़र आसान न मिला


सुकूने दिल के लिए क्या कुछ न किया
शहर-दर-शहर घूमता रहा आराम न मिला


मुरीदों के दिलों में महफूज़ था सब लिखा हुआ
किसी दुकान में तनहा का कलाम न मिला  


Thursday 1 December 2011

कर क्या रहे हो ये तुम ?..

अपने ग़म को 
तुम क्यूँ संभाले बैठे हो
काम पड़ा है कितना
और तुम 
सुस्ताने बैठे हो ..

रंग फ़िज़ाओं में
फैले से हैं
बेशुमार
अपने जीवन को 
फिर क्यूँ 
बेरंग बनाये बैठे हो ..

देखो कैसी 
ले ली है
इस ज़माने ने करवट
तुम भी हद
करते हो मियां 
यूँ शर्माए बैठे हो ..

आवारा शायर की 
दुनिया को
ठीक आपने 
वीरान किया,
छोड़ तनहा को
अब तुम फिर
क्यूँ उकताए बैठे हो ..     

काम पड़ा है कितना
और तुम 
सुस्ताने बैठे हो ..