Friday 24 October 2014

मेरा तो यही हाल है ..

मेरा तो यही हाल है। 


न जाने किस ओर निग़ाहें किये बैठा रहा ये ज़माना
मेरी  तो महज़ कुदरत के नज़ारों में ज़िन्दगी रही /
होती होंगी औरों की इबादत दैरो -हरम में तनहा
मेरी तो फ़क़त आशिकी ही ताउम्र मेरी बंदगी रही  

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