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Friday, 11 November 2011

R U I N S ...



गुलों की चाह  में
निकले थे थोडा आगे
वो डरकर सिमट गए खुद में
मेरी राह में बिछा कांटें  ..


निभ न सके उनसे
मुझसे उल्फत के नाते 

न सलाम न दुआ कोई
और  न मिलना आते जाते ..  
 


मोहब्बत की सौगातें 
तनहा दिन तनहा रातें
चंद मचलते अरमां
ढेरों अधूरी बातें ..


चंद मचलते अरमां
ढेरों अधूरी बातें ..





Saturday, 5 November 2011

तुम आज़ाद हो . O woman you are not weak !

सोचता हूँ कि तुम्हारी तालीम क्यूँ ज़ाया हो /
तुमको भी हासिल हो वो जो सबने  पाया हो ..

किसी को भी,
हाँ - किसी को भी
हक़ नहीं है -

तुम्हारे जीवन में ज़हर घोलने का 
तुमसे ऊंची आवाज़ में बोलने का
तुम्हारे जज़्बात को तोलने का
तुम्हारी राह का रुख मोड़ने का ..

तुम्हारे लहू का हर क़तरा बस तुम्हारा है
तुम्हारी हर सांस पर बस हक़ तुम्हारा है

तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ तुम्हे पकड़ा नहीं जा सकता
गुलामी कि जंजीरों में तुम्हें जकड़ा नहीं जा सकता ..

तुम्हें डरने कि कोई ज़रूरत नहीं है 
लाचारी कि तुम्हारी कोई सूरत नहीं है ..

तुम न भूलना ये कभी भी
कि तुम कोई क़ैदी नहीं हो ..

तुमको हर हाल में
याद रखना ही होगा -
कि तुम आज़ाद हो
तुम आज़ाद हो ..