Showing posts with label disillusionment. Show all posts
Showing posts with label disillusionment. Show all posts

Tuesday, 15 December 2020

ZINDAGI HAI BHI YA NAHI ?

  जीना कहूँ इसे या कहूँ के कट रही है 
  जिस्म लहू लुहान है और रूह जल रही  है ,
मुझको इल्म नहीं के है और भी कोई मौसम 
सहरा सी ज़िन्दगी है और लू चल रही है 

Jeena kahuN isay ya kahuN ke kat rahi hai
Jism lahoo luhan hai aur rooh jal rahi hai
Mujhko ilm nahi ke hai aur bhi koi Mausam
Sehra si zindagi hai aur loo chal rahi hai

Tuesday, 6 December 2011

khamosh rahun to behtar hai ..

चाहा कब न था कुछ करना
पर ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते
लरज़ गयी है धड़कन धड़कन
बिख गया है लहू लहू ..


तन्हाई में रोना बेहतर है
उकता गया हूँ हुजूम में
किससे क्या क्या सुनूं सुनूं
किससे क्या क्या कंहू कंहू ..


इस दौडती भागती दुनिया में
मुझ जैसों का ठिकाना क्या
मैं नादाँ निपट आवारा
मौजे जज़्बात में बहूँ बहूँ ..

रिश्ते तुम्हारे होंगे हज़ार
मेरा दुनिया से बस रिश्ता एक
दुनिया करे है ज़ुल्म बराबर
और मैं चुपचाप सहूँ सहूँ ..

 
चाहा कब न था कुछ करना
पर ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते
लरज़ गयी है धड़कन धड़कन
बिख गया है लहू लहू ..