Tuesday 19 February 2013

mere bus ki baat nahi . ...

हुस्न की नगरी से बामुश्किल बिन झुलसे हुए हम लौटे हैं ,
इस आग को दूर ही रहने दो अब फिर से हाथ जलाये कौन ?
.
हर आशना का लेखा जोखा जब बस धोखा धोखा धोखा हो ,
क्यूँ खुद में सिमटे न रह जायें अब फिर से हाथ मिलाये कौन ?
.
वो जो इशारा करते थे मुझे जो बन के सहारा मिलते थे ,
आँखों से ओझल हुए कबके अब फिर से हाथ हिलाए कौन ?
.
कहा नुजूमी ने था मेरा हाथ देखकर वो मेरे थे वो मेरे हैं ,
वही चले गए जब हाथ छोड़कर अब फिर से हाथ दिखाए कौन?

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