लफ्ज़
लफ्ज़ मेरे
साथ चलेंगे तुम्हारे
परछाई की तरह
सुनाई देंगे कभी नज़्म की सूरत
कभी रुबाई की
तरह
.
लफ्ज़ हैं सिर्फ पास मेरे
तुम्हारे साथ चलने के लिए
तुमसे प्यार करने के
लिए
.
अलफ़ाज़ के अलावा और हो भी तो क्या
जिंदगानी हमारी
की इन्ही के दम पे है टिकी
हमारी मोहब्बत
-ऐ-जवानी .
जो चाह दिल ने
कर दिया लफ़्ज़ों ने बयान
जो चाह मन
ने
लफ़्ज़ों ने कह दिया .
लफ्ज़ हैं सिर्फ पास मेरे
साथ
तुम्हारे हँसने के लिए
तुमसे कुछ कहने के लिए
.
दिल ही में रह जाये हर बात दिल की
तो फिर लफ़्ज़ों
की ज़रूरत क्या
लफ्ज़ -लफ्ज़ मन की हर बात न बोले
तो फिर लफ़्ज़ों
की हकीकत क्या .
लफ्ज़ हैं सिर्फ पास मेरे
तुम्हे देने के
लिए
तुम्हारा दिल लेने के लिए ,
लफ्ज़ ही हैं सिर्फ पास
मेरे
और कुछ भी नहीं
और कुछ भी नहीं .
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