athkheli swapn ki...
by Tanha Ajmeri on Saturday, September 17, 2011 at 9:25am
देर सुबह तक एक ख्वाब मेरा इतराता रहा था,
गो देखा उसे जिसका बरसों से इंतज़ार रहा था/
वो जिनका मेरी मंजिलों से न वास्ता ज़रा भी,
एक अंजान सफ़र में कुछ देर मेरे साथ चला था/
शक्ल नहीं और न ही कोई साया ही था उसका ,
मद्धिम सी याद की उसका नाम था भला सा/
देर सुबह तक एक ख्वाब मेरा इतराता रहा था,
मुस्कुराता रहा था बहुत इठलाता रहा था/
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