by Tanha Ajmeri on Saturday, June 25, 2011 at 12:18pm
इतना मत खोज रे नादाँ
सत्य और असत्य की खोज
छोड़ दी है मैंने अब
व्यर्थ थी खोज मेरी
व्यर्थ था मेरा सफ़र
दर -ब -दर तनहा
आवारा भटकता
खुद से दूर होता गया
पर हाथ न आया कुछ भी
मिला सिर्फ संदेह ,संशय
मन की न सुलझी उलझनें
अब मैंने ठाना है की
सिर्फ जियूँगा बेख़ौफ़ निडर
सत्य क्या , असत्य क्या
सोचूंगा नहीं मै
क्योंकि मैंने अक्सर
सत्य को असत्य
और असत्य को सत्य में
बदलते देखा है .
TANHA AJMERI
सत्य और असत्य की खोज
छोड़ दी है मैंने अब
व्यर्थ थी खोज मेरी
व्यर्थ था मेरा सफ़र
दर -ब -दर तनहा
आवारा भटकता
खुद से दूर होता गया
पर हाथ न आया कुछ भी
मिला सिर्फ संदेह ,संशय
मन की न सुलझी उलझनें
अब मैंने ठाना है की
सिर्फ जियूँगा बेख़ौफ़ निडर
सत्य क्या , असत्य क्या
सोचूंगा नहीं मै
क्योंकि मैंने अक्सर
सत्य को असत्य
और असत्य को सत्य में
बदलते देखा है .
TANHA AJMERI
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