Tuesday, 27 September 2011

itna mat khoj re naadaan !!

 

itna mat khoj re naadaan !

by Tanha Ajmeri on Saturday, June 25, 2011 at 12:18pm
इतना  मत  खोज  रे  नादाँ



सत्य  और  असत्य  की  खोज

छोड़  दी  है  मैंने  अब

व्यर्थ  थी  खोज  मेरी

व्यर्थ  था  मेरा  सफ़र

दर -ब -दर  तनहा

आवारा  भटकता

खुद  से  दूर  होता  गया

पर  हाथ  न  आया  कुछ  भी

मिला  सिर्फ  संदेह ,संशय

मन  की  न  सुलझी  उलझनें



अब  मैंने  ठाना  है  की

सिर्फ  जियूँगा  बेख़ौफ़  निडर

सत्य  क्या , असत्य  क्या

सोचूंगा  नहीं  मै

क्योंकि  मैंने  अक्सर

सत्य  को  असत्य

और  असत्य  को  सत्य  में

बदलते  देखा  है .



TANHA AJMERI

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