मुंह चिढाकर मुझको ,
वो भागे झट से मेरे कमरे से /
फिर झट से आकर अन्दर बोले
" इसे प्यार न समझ लेना "/
जब बाहर जाकर देखा तो...
पाया उनको अपने ही आँगन में /
वो निगाहें नीची करके बोले
"इसे इज़हार न समझ लेना "
वो भागे झट से मेरे कमरे से /
फिर झट से आकर अन्दर बोले
" इसे प्यार न समझ लेना "/
जब बाहर जाकर देखा तो...
पाया उनको अपने ही आँगन में /
वो निगाहें नीची करके बोले
"इसे इज़हार न समझ लेना "
आपकी लेखनी बेजोड़ है
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 19 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Behad Shukriya
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