मेरा तो यही हाल है।
न जाने किस ओर निग़ाहें किये बैठा रहा ये ज़माना
मेरी तो महज़ कुदरत के नज़ारों में ज़िन्दगी रही /
होती होंगी औरों की इबादत दैरो -हरम में तनहा
मेरी तो फ़क़त आशिकी ही ताउम्र मेरी बंदगी रही
न जाने किस ओर निग़ाहें किये बैठा रहा ये ज़माना
मेरी तो महज़ कुदरत के नज़ारों में ज़िन्दगी रही /
होती होंगी औरों की इबादत दैरो -हरम में तनहा
मेरी तो फ़क़त आशिकी ही ताउम्र मेरी बंदगी रही
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