जीना दुश्वार नहीं नहीं
बन जा मस्त फ़क़ीर
ये कोई जादू नहीं जो इस तरह तबस्सुम लिए फिरुँ हूँ मैं
अश्क़ लिए ग़मों के पहाड़ के ऊपर बैठके रोया नहीं कभी
दुनिया की कामयाबी से न जला न रखा ताल्लुक़ कोई
सुकूँ की चादर ओढ़े सोया चैन अपना खोया नहीं कभी
नफरत को न दी तरजीह मैंने उल्फ़त से हर काम किया
जिसपे बने अदावत का शजर बीज ऐसा बोया नहीं कभी
बन जा मस्त फ़क़ीर
ये कोई जादू नहीं जो इस तरह तबस्सुम लिए फिरुँ हूँ मैं
अश्क़ लिए ग़मों के पहाड़ के ऊपर बैठके रोया नहीं कभी
दुनिया की कामयाबी से न जला न रखा ताल्लुक़ कोई
सुकूँ की चादर ओढ़े सोया चैन अपना खोया नहीं कभी
नफरत को न दी तरजीह मैंने उल्फ़त से हर काम किया
जिसपे बने अदावत का शजर बीज ऐसा बोया नहीं कभी
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