Thursday, 28 August 2014

सवाल पर सवाल

सवाल पर सवाल

 दर्जनों रस्तें हैं मेरे घर को आते
सोचते क्या हो के "कहाँ से आऊँ ?''
ख़त में क्या पूछते हो  "कैसे हो?"
इतना बड़ा काग़ज़ मैं कहाँ से लाऊँ ?
 

Sunday, 24 August 2014

जीना दुश्वार नहीं नहीं

जीना दुश्वार नहीं नहीं 

बन जा मस्त फ़क़ीर

ये कोई जादू नहीं जो इस तरह तबस्सुम लिए फिरुँ हूँ मैं 
अश्क़ लिए ग़मों के पहाड़ के ऊपर बैठके रोया नहीं कभी 
दुनिया की कामयाबी से न जला न रखा ताल्लुक़ कोई 
सुकूँ की चादर ओढ़े सोया चैन अपना खोया नहीं  कभी 
नफरत को न दी तरजीह मैंने उल्फ़त से हर काम किया 
जिसपे बने अदावत का शजर बीज ऐसा बोया नहीं कभी  

इबादत

इबादत 

बड़े इलाज लेके घूमा किया मैं देस परदेस  
 तेरे ही शहर में लिखा था बीमार होना  मेरा 
न ख़ौफ़ खा तू देखके मुझको यूँ तड़पता हुआ 
 मैं रक़्स करने लगूँगा होते ही दीदार तेरा /

 और तू कह भी  दे अगर कि तू ना आएगा 
मैंने तो अब यहीं पर है डाला डेरा अपना 
तेरे ही दर पे निग़ाहें किये बैठा रहूँगा 
देखता रहे सारा तमाशा चाहे ये बाज़ार तेरा 

Thursday, 7 August 2014

m e m o r i e s GALORE ..

बेरंग न होने देते हैं जिस्त को ,कुछ ख़्वाबों की तासीर है यूँ 
साहिले समंदर हम संग वो इंद्रधनुषी रंग क्या तुझको याद नहीं /
 मुझसे न पूछ के कबसे हूँ मैं ग़मज़दा इस तरह से तनहा 
तू ही बता वो अपने बिछड़ने की तारीख क्या तुझको याद नहीं 

cross the bridge !



आजा के अब तुझपे मुन्नसर है इस रिश्ते की खनक 

मैंने तो कबकी कर दीं हैं सब गलतफहमियां दरकिनार 

time gone by ..


 

 

अब ना  सही नामो निशाँ ज़रा भी पुराने उस मरासिम का 

तेरी खुशबू बनके मिलता था मुझसे कभी ये आलम सारा