ज़िन्दगी है इक जुआ ये बात आयी तब समझ
जब दाव पर अपना था मै सबकुछ लगा चुका /
इक दिया ए उम्मीद की मानिंद रोशन था दिल में जो
तेज़ झोंका इक हवा का कब का उसे बुझा चुका /
वो मुसाफिर था उसे तुम रोक पाते कैसे भला
वो तुम्हारी मंजिलों से दूर कबका जा चुका /
जो हो चुका सो हो चुका यही दुनिया है तनहा मियाँ
फिर आया कहाँ है लौटकर वो काफिला जो जा चुका
जब दाव पर अपना था मै सबकुछ लगा चुका /
इक दिया ए उम्मीद की मानिंद रोशन था दिल में जो
तेज़ झोंका इक हवा का कब का उसे बुझा चुका /
वो मुसाफिर था उसे तुम रोक पाते कैसे भला
वो तुम्हारी मंजिलों से दूर कबका जा चुका /
जो हो चुका सो हो चुका यही दुनिया है तनहा मियाँ
फिर आया कहाँ है लौटकर वो काफिला जो जा चुका
nice lines.
ReplyDeleteyour most welcome to my blog also.
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