- मेरे सफ़र में मेरी दौड़ बेहद ही बुलंद है
कोई ज़ंजीर मेरे पैरों से लोहा लेती नहीं /
मंजिल हो नज़र में . न डगमगाएं कदम
ऐसे जाँबाजों को रहगुज़र धोखा देती नहीं - पद में वो जितने ऊंचे होते गए
कद में उतने ही छोटे होते गए /
कर के मुल्क की हालत को पतला
मरियल नेता जी मोटे होते गए .. - अपंग हुकूमत लाचार इंसान -
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ज़र्रा ज़र्रा बीमार है इस फर्श से उस अर्श तक
आग लग रखी है धुंआ उठ रहा है हर तरफ
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सीधी होती रहगुज़र तो आसाँ होता ये सफ़र
रास्ते को जहाँ भी देखो मुड़ रहा है हर तरफ
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कैसे समेट ले कोई खुदको राहतों के दरर्मियाँ
बर्बादी का अफसाना नया जुड़ रहा है हर तरफ .
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आरज़ुएँ तमन्नाएँ ये पूरी कभी होती ही नहीं
सजदे में सर इंसान का झुक रहा है हर तरफ
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ज़र्रा ज़र्रा बीमार है इस फर्श से उस अर्श तक
आग लग रखी है धुंआ उठ रहा है हर तरफ - सुना मैंने किसी ने किया है
उनसे बारीक एक सवाल ,
लब उनके लरज़ रहे हैं
वो दे दें जवाब शायद /
ये सोचकर मैं भी
ठहर गया हूँ ज़रा सा ,
इबादत का मुझको मेरी
वो दे दें सवाब शायद
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सवाब : PUNYA in hindi; compensation, reward(esp. of obedience to God.. here..obedience to the lover)
मैं मान ही नहीं सकता कि तुम्हे है इसकी बाबत ज़रा भी इल्म /
मोहब्बत के बारे में पढ़ लेने भर से कहाँ इसका पता चलता है
मोहब्बत के बारे में पढ़ लेने भर से कहाँ इसका पता चलता है