ये बरस कैसा हो ??
अमनो चैन की बातें हों
हम सब बंधे इक डोर से/
उकता चुका हर शख्स यंहा
बेवजह के शोर से..
ख़ामोशी से सुनो तो
सुनाई देगा बहुत कुछ/
जाता हुआ लम्हा जाता नहीं
कुछ कहके कभी जोरसे..
ये बादल है दिखावे के
बरसेंगे नहीं इक बूँद भी /
नाचे नहीं चुप बैठ ले
कह दो जंगल के मोर से..
इस बरस सोचता हूँ
मै भी कह ही डालूं/
कुछ बातें झूठी सच्ची
अपने दिल के चोरसे..
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