किसी को हंसा दूँ ,किसीको दूँ दिलासा ,
मेरी नमाजें यूं अदा होती हुई /
देख मेरी शख्सियत का कुछ भी बिगड़ा नहीं ,
ये तेरी ही बद -दुआ है खता होती हुई /
कंही फरेब ,कंही छलावा ,कंही मक्कारी ,
ज़माने की भी क्या खूब वफ़ा होती हुई /
बदल दिया है ज़माने ने तनहा को भी ,
मेरी ही ज़िन्दगी आज मुझसे खफा होती हुई .
मेरी नमाजें यूं अदा होती हुई /
देख मेरी शख्सियत का कुछ भी बिगड़ा नहीं ,
ये तेरी ही बद -दुआ है खता होती हुई /
कंही फरेब ,कंही छलावा ,कंही मक्कारी ,
ज़माने की भी क्या खूब वफ़ा होती हुई /
बदल दिया है ज़माने ने तनहा को भी ,
मेरी ही ज़िन्दगी आज मुझसे खफा होती हुई .
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