Tuesday, 19 February 2013

mere bus ki baat nahi . ...

हुस्न की नगरी से बामुश्किल बिन झुलसे हुए हम लौटे हैं ,
इस आग को दूर ही रहने दो अब फिर से हाथ जलाये कौन ?
.
हर आशना का लेखा जोखा जब बस धोखा धोखा धोखा हो ,
क्यूँ खुद में सिमटे न रह जायें अब फिर से हाथ मिलाये कौन ?
.
वो जो इशारा करते थे मुझे जो बन के सहारा मिलते थे ,
आँखों से ओझल हुए कबके अब फिर से हाथ हिलाए कौन ?
.
कहा नुजूमी ने था मेरा हाथ देखकर वो मेरे थे वो मेरे हैं ,
वही चले गए जब हाथ छोड़कर अब फिर से हाथ दिखाए कौन?

Monday, 4 February 2013

contrast

किसी को हंसा दूँ ,किसीको दूँ दिलासा ,

मेरी नमाजें यूं अदा होती हुई /

देख मेरी शख्सियत का कुछ भी बिगड़ा नहीं ,

ये तेरी ही बद -दुआ है खता होती हुई /

कंही फरेब ,कंही छलावा ,कंही मक्कारी ,

ज़माने की भी क्या खूब वफ़ा होती हुई /

बदल दिया है ज़माने ने तनहा को भी ,

मेरी ही ज़िन्दगी आज मुझसे खफा होती हुई .