" ये तो कोई भी मर्द कह सकता था" विक्रम मानसी से बोला .
"नहीं, कोई दूसरा नहीं " मानसी ने जवाब दिया.
"अरे"
"अरे क्या, एक बार फिर से कहो न ?"
"मैंने महज़ यही तो कहा कि जब तुम मुझसे बात करती हो तो मुझे लगता है की मेरा भी कोई है"
... "हाय , कितना शायराना .. "
विक्रम मानसी को देखता रहा.. क्या सचमुच, यह मौसम का असर हो सकता है ?
"नहीं, कोई दूसरा नहीं " मानसी ने जवाब दिया.
"अरे"
"अरे क्या, एक बार फिर से कहो न ?"
"मैंने महज़ यही तो कहा कि जब तुम मुझसे बात करती हो तो मुझे लगता है की मेरा भी कोई है"
... "हाय , कितना शायराना .. "
विक्रम मानसी को देखता रहा.. क्या सचमुच, यह मौसम का असर हो सकता है ?
है ये क्या चीज़ जिसको मोहब्बत कहते हैं ? कैसे हो जाता है इसका इज़हार चाहे अनचाहे ??
क्या बरसात से पहले लोग ऐसे हो जाते हैं या फिर था ये विक्रम की बातों का अंदाज़ या सलीका ?
अनायास ही दोनों ने एक साथ खिड़की से बाहर देखा .
चाँद बदली में छुपना चाहता था.
अनायास ही दोनों ने एक साथ खिड़की से बाहर देखा .
चाँद बदली में छुपना चाहता था.