बरसों बेरुखी के बाद वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली
वो खुद मोहब्बत है प्यार की मिसाल है फिर भी
कहते हैं लोग कि उन्होंने ही मेरी जान ली
वो अब नादाँ कंहा रहे समझते हैं अच्छा बुरा
एक छोड़कर उन्होंने मेरी बातें सारी मान लीं
मेरे किसी गुमनाम ख़त का न मिला मुझको जवाब
जानता हूँ मैं कि उन्होंने लिखावट मेरी पहचान ली
( बरसों बेरुखी के बाद वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली )
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली
वो खुद मोहब्बत है प्यार की मिसाल है फिर भी
कहते हैं लोग कि उन्होंने ही मेरी जान ली
वो अब नादाँ कंहा रहे समझते हैं अच्छा बुरा
एक छोड़कर उन्होंने मेरी बातें सारी मान लीं
मेरे किसी गुमनाम ख़त का न मिला मुझको जवाब
जानता हूँ मैं कि उन्होंने लिखावट मेरी पहचान ली
( बरसों बेरुखी के बाद वो देखकर फिर मुस्कुरा उठे
और फिर हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद बाँध ली )
behad sundar
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