जिस बाज़ार में देखो सबको कुछ न कुछ मिला
दिल के आराम का मुझको सामान न मिला
आखरी सांस तक वो बस लड़ता ही रहा
उसे ज़िन्दगी का कोई सफ़र आसान न मिला
सुकूने दिल के लिए क्या कुछ न किया
शहर-दर-शहर घूमता रहा आराम न मिला
मुरीदों के दिलों में महफूज़ था सब लिखा हुआ
किसी दुकान में तनहा का कलाम न मिला
मुरीदों के दिलों में महफूज़ था सब लिखा हुआ
ReplyDeleteकिसी दुकान में तनहा का कलाम न मिला... bahut sundar
fantastic !!
ReplyDelete