R U I N S ...
गुलों की चाह में
निकले थे थोडा आगे
वो डरकर सिमट गए खुद में
मेरी राह में बिछा कांटें ..
निभ न सके उनसे
मुझसे उल्फत के नाते
न सलाम न दुआ कोई
और न मिलना आते जाते ..
मोहब्बत की सौगातें
तनहा दिन तनहा रातें
चंद मचलते अरमां
ढेरों अधूरी बातें ..
चंद मचलते अरमां
ढेरों अधूरी बातें ..
उम्दा
ReplyDeletebahut bahut bahut sunder !!
ReplyDeleteसच ही तो है| बहुत सुन्दर
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